ACS Renu Pillai News: ACS रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट आसमान खा गया या जमीन निगल गई? क्या छत्तीसगढ़ की नौकरशाही जांचों में ब्रेकर बन रही!...
ACS Renu Pillai News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी करप्शन को लेकर सख्त तेवर अपनाए हुए हैं। तमाम सियासत और प्रेशर के बाद भी मुख्यमत्री ने सीजीएमएससी घोटाले को जांच के लिए एसीबी को दे दिया। वहीं, पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में पाए जाने पर बेहद नाराज होते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ के सबसे तेज-तर्रार और दूसरे नंबर की सीनियर अफसर रेणु पिल्ले को जांच के लिए सौंपा था। मगर तीन महीना गुजर गया, जांच रिपोर्ट दबा दिए जाने की खबरें आ रही हैं। आरआई परीक्षा घोटाले को भी राजस्व विभाग द्वारा दबाया जा रहा है। सीजीएमएससी घोटाले की एसीबी जांच में भी अब पहले जैसे तेजी नहीं दिखाई पड़ रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी नहीं चाह रही कि जांचों से कोई अफसर प्रभावित हो।

ACS Renu Pillai News: रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शपथ लेते ही जीरो टॉलरेंस और सुशासन को सरकार का मूल मंत्र बताया था। उन्होंने सरकार में आते ही पीएससी घोटाले की सीबीआई जांच का ऐलान किया। सीबीआई ने पीएससी के पूर्व चेयरमैन समेत दर्जन भर आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया है।
छत्तीसगढ़ के पाठ्य पुस्तक घोटाला पर भी मुख्यमंत्री गहरी नाराजगी दिखाए थे। बिलिंग के लिए अफसरों ने जरूरत से अधिक किताबें छपवा लिया। इससे राज्य का करोड़ों रुपए की बर्बादी हुई। स्कूलों में मुफ्त बंटने वाली किताबों का जखीरा सिलतरा के कबाड़ में पाया गया।
कबाड़ में किताबें पाए जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल होने पर अधिकारियों ने खानापूर्ति के लिए पाठ्य पुस्तक के अधिकारियों की कमेटी बना दी। ताकि जांच के नाम पर मामले को दबाया जा सके।
मगर मुख्यमंत्री के संज्ञान में ये चीजें आ गई कि अफसरों ने मामले को दबाने के लिए कैसे पापुनि के एमडी और जीएम को जांच कमेटी का मेम्बर बना दिया। याने अपने खिलाफ आरोपों की जांच स्वयं वे अफसर करते।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बेहद सख्त एक्शन लेते हुए जांच के उपर जांच बिठा दी।
बताते हैं, उन्होंने पूछा था कि कौन अफसर सबसे ईमानदारी से जांच कर सकता है। उनके करीबी लोगों ने इसके लिए एसीएस रेणु पिल्ले का नाम लिया था। मुख्यमंत्री को बताया गया था कि रेणु पिल्ले जांच करेगी तो परिंदा भी नहीं बच पाएगा, क्योंकि वे अपनी भी नहीं सुनती।
19 सितंबर का आदेश
मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने एसीएस रेणु पिल्ले को पापुनि घोटाले की जांच सौंपते हुए 15 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। रेणु को जांच के लिए जीएडी ने सात बिंदु दिया था। इसमें आगे से ऐसे भ्रष्टाचार की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए भी सुझाव मांगा गया था। मगर साढ़े चार महीना से ज्यादा समय गुजर गया, मगर जांच रिपोर्ट का कोई पता नहीं। समझा जा सकता है कि रेणु पिल्ले जैसी सीनियर अफसर की जांच रिपोर्ट को भी दबा दिया जा रहा है। वो भी तब, जब मुख्यमंत्री खुद जांच का आदेश दिए थे।
सीजीएमएससी घोटाला
छत्तीसगढ़ को हिला देने वाला सीजीएमएससी घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने एसीबी को सौंपा था। एसीबी ने सुपरसोनिक विमान की रफ्तार में कार्रवाई करते हुए एफआईआर के हफ्ते भर के भीतर रायपुर से लेकर हरियाणा तक ताबड़तोड़ छापेमारी किया। इसके दूसरे ही दिन मोक्षित कारपोरेशन के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया।
मगर अफसरों पर अभी काई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। सवाल उठता है, दो करोड़ लोगों की जानमाल से खिलवाड़ करने में सिर्फ सप्लायर दोषी है? जाहिर है, सीजीएमएससी के अफसरों के साथ ही हेल्थ डायरेक्ट्रेट से जुड़े आईएएस अफसर भी इस घोटाले में शामिल थे। मगर एसीबी जांच की गति देखकर ब्यूरोक्रेसी में कानाफूसी शुरू हो गई है।
आरआई परीक्षा घोटाला
पटवारी से आरआई बनाने कमिश्नर लैंड रेवेन्यू द्वारा लिए गए एक्जाम में गोलमाल हुआ, उससे मंत्रालय का कोई भी अफसर अनजान नहीं है। सारे आईएएस अफसरों को मालूम है कि 216 पटवारियों को आरआई बनाने में किस स्तर पर खेला किया गया।
सरकार ने इसकी जांच के लिए सचिव केडी कुंजाम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी 20 नवंबर 2024 को रिपोर्ट सौंप चुकी है। मगर राजस्व विभाग इस पर कुंडली मारकर बैठ गया है। अलबत्ता, राजस्व विभाग के जनसूचना अधिकारी ने साफ झूठ बोलते हुए 29 जनवरी 2015 को लिखकर दे दिया कि जांच अभी प्रक्रियाधीन है। जाहिर है, जांच के नाम पर राजस्व विभाग के अफसर एक-दूसरे को पत्र लिखने का काम कर रहे हैं।
उत्तरपुस्तिका में मोबाइल नंबर
आरआई परीक्षा में उत्तरपुस्तिका में मोबाइल नंबर लिखवा लिया गया। इसके स्पष्ट है कि परीक्षा लेने वालों की मंशा साफ नहीं थी। इसके बाद भी राजस्व विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। आरोप यह भी है कि पिछली सरकार में निकाले गए आरआई के विज्ञापन में पोस्ट और आरक्षण का कोई उल्लेख नहीं था।
आचार संहिता में प्रक्रिया
विधानसभा चुनाव 2023 की आचार संहिता प्रभावशील होने के दौरान परीक्षा प्रक्रिया जारी रही। इस पर राजस्व विभाग ने कुतर्क दिया है कि आचार संहिता में कमिश्नर लैंड रिकार्ड आफिस का काम जारी है, पटवारी अपना चुनावी काम कर रहे हैं, तो विभागीय परीक्षा की प्रक्रिया में क्या दिक्कत है। जबकि, माडॅल कोड ऑफ कंडक्ट में साफ निर्देश है कि कोई भी प्रमोशन, ट्रांसफर या नियुक्ति का काम नहीं किया जा सकता।
छत्तीसगढ़ में कई ऐसे उदाहरण है, जिससे पता चलता है कि अधिकारी जांच को दबा रहे हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय को इसे संज्ञान में लेना चाहिए। क्योंकि, हर बात मुख्यमंत्री तक पहुंचती नहीं।